#OpenPoetry बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आसमान पर कितने परींदे उड़ रहे है पंख पसारे जमी पे खड़े हम उन्हें कब तक निहारे दो मौका हमे भी उडने का ताकि हम भी अपना जीवन सवारे तुम्हें क्या लगता है कूल तुमसे आगे बढ़ता है पर तुम क्यो ये भूल जाते हो हमारे सहयोग से ही तुम अपने कूल का वंश पाते हो तुम्हें लगता है बेटी पढाकर क्या होगा पर अपने घर किसी की पढ़ी लिखी बेटी ही लाना चाहते हो तो बताओ अगर कोई बेटी नही पढ़ाएग तो तुम कहां से अपने घर पढ़ी लिखी बहू लाओगे तभी तो दोस्तों हम सबसे कहते है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और दूसरे के घर को रौशन कर जाओ और अपने घर रौशनी लाओ । #OpenPoetry बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ