2020 घना साया था 2021 नया सवेरा है॥ जो बीत गया बस सबक लो उससे बार बार कल का क्या रोना है॥ जो चला गया वो न आएगा फिर उसकी बातें क्या करना है॥ कंण कंण में व्याप्त विषवर्ष था ये इस वर्ष अमृतवर्षा करना है॥ बीते वर्ष की कड़वी यादों को धूमिल हमको ही करना है॥ कुछ सपने टूटे कुछ अपने छूटे पर फिर भी जीना तो है॥ मिट जाएं सारी कड़वी निशानी नववर्ष को इतना चमकाना है॥ प्रकृति का बदला था न भूलें हमें उससे रक्षा का वादा करना है॥ जन जन में मानवता जिंदा रहे जन जन को पाठ पढ़ाना है॥ हो अधीर न हे प्राणी तुम अभी धीर हमें और धरना है॥ अभी और अग्नि में तपकरके कुंदन बन और निखरना है॥ कुछ कुछ कड़वे अनुभव से भी कुछ सार मधु सम लेना है॥ थके तो हैं पर हारे नहीं हैं जीतें हैं अब तक और जीतना है॥ कुछ माह अभी और थम जाओ हिन्दू संवत्सर साथ मनाना है॥ Dr. Shalini Saxena ©Dr. Shalini Saxena #2021 #Hindu Samvatsar Saath Manana Hai