है ईश्वर! कभी तो हाथ थामकर खडा करो। पैर हमारे मज्जबूत बहुत है, कभी तो खडा करके चलादे। चलते-चलते दौडने का साहस रखते हे हम, बस तु बार-बार गिरने का डर मिटादे। चलते रहेगे हम,दोडते रहेगे हम, तु सहीं रास्ता तो बतादे। रास्ता चाहे जीतना भी लम्बा हो,चलेगे हम, बस तु मंजील तो बतादे। नसिब हम खुद लिखेगें हमारा, पर उसे लिखने की लकीरे तो हाथोमे बनादे। दीन में सौ बार मरते है,एक दीन गुजारने को, बस एक वजह बतादे,हमे हरदीन मार कर जिंदा रखने की।