पक्षपात उदर में सांसों का पहला गिफ्ट मिला था ! नहीं कोई गिला-शिकवा मिला था ! दिख गई थी अंजान आंखों से जब वो इक दिन, अंजान मन अब मैला होने लगा था । वो अंतर्मन से मुस्कुरा रही थी ! नई दुनिया में आने को फड़फड़ा रही थी ! मगर वक्त ने ऐसा कहर ढाया इक दिन, सेहत की ऊफनती लहरें अब शांत हो रही थी । अक्सर, लोग स्वार्थ में समंदर भी लांघ जाते हैं ! नामुमकिन को मुमकिन भी बना जाते हैं ! मुमकिन तो डाॅन को पकड़ना भी था, पर, राह में मिले गठरी बेराह बना जाते हैं । ©Murari Shekhar मुमकिन तो डाॅन को पकड़ना भी था #WForWriters #Nojoto #NojotoApp #NojotoFilms #NojotoNews #Trending #NojotoHindi #NojotoEnglish #Humanity