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ये धुंध कुहासा छंटने दो रातों का राज्य सिम

ये धुंध कुहासा छंटने दो
        रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
        फागुन का रंग बिखरने दो,
प्रकृति दुल्हन का रूप धर
     जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
       घर -घर खुशहाली लायेगी,
तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि
           नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
      जय-गान सुनाया जायेगा... #NojotoQuote ये धुंध कुहासा छंटने दो
          रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
          फागुन का रंग बिखरने दो,
प्रकृति दुल्हन का रूप धर
           जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
           घर -घर खुशहाली लायेगी,
ये धुंध कुहासा छंटने दो
        रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
        फागुन का रंग बिखरने दो,
प्रकृति दुल्हन का रूप धर
     जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
       घर -घर खुशहाली लायेगी,
तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि
           नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
      जय-गान सुनाया जायेगा... #NojotoQuote ये धुंध कुहासा छंटने दो
          रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
          फागुन का रंग बिखरने दो,
प्रकृति दुल्हन का रूप धर
           जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
           घर -घर खुशहाली लायेगी,
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