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स्वरचित और मौलिक भील हूँ मैं जंगलों में रहकर अ

स्वरचित और मौलिक 

भील हूँ मैं 
जंगलों में रहकर 
अंग्रेज़ों की चुन-चुन कर ईंट से ईंट बजाई थी 
काँप गया था महारानी का मंत्री भी 
जब मैंने बंदूक उठाई थी 
सन् सत्तावन का दमन देख न सका 
आराम से सुकूँ की रोटी सेक न सका 
आजादी का नाम लिखा उसी समय 
अपनी तलवार पर 
धार लगाई बारिक अपनी 
छुरी और कटार पर 
मौका मिला तो 
लुटी बौगी चलती हुई रेल से 
बाँटा पैसा गरीबों को "रॉबिन हुड"बन 
बड़े खेल से 
देख ये कमाल साइमन जलता रहा 
जेल जाने का 
तोड कर भाग जाने का 
बीहड़ में खाने का 
दुबारा रेल लुट कर आने का 
ये ही सिलसिला चलता रहा 
गुजरता गली से तो" मामा "कह
हर कोई संग था 
आजादी का बिगुल बजाया मैंने भी 
महज़ लडने का ढंग भर अलग था 
हाँ "टांटया" नाम से 
लोगों ने पुकारा 
गोली दागी हर छाती पर 
जिन्होंने हमें बनाया बेचारा 
मैं भील हूँ डाकू था 
आजादी की कवायद में 
हाथ में मरते दम तक चाकू था 

परवीन माटी 

एक छोटा सा समर्पण वीर बहादुर को जो कम ही लोगों तक की पहुँच में है

©parveen mati स्वरचित और मौलिक 

भील हूँ मैं 
जंगलों में रहकर 
अंग्रेज़ों की चुन-चुन कर ईंट से ईंट बजाई थी 
काँप गया था महारानी का मंत्री भी 
जब मैंने बंदूक उठाई थी 
सन् सत्तावन का दमन देख न सका
स्वरचित और मौलिक 

भील हूँ मैं 
जंगलों में रहकर 
अंग्रेज़ों की चुन-चुन कर ईंट से ईंट बजाई थी 
काँप गया था महारानी का मंत्री भी 
जब मैंने बंदूक उठाई थी 
सन् सत्तावन का दमन देख न सका 
आराम से सुकूँ की रोटी सेक न सका 
आजादी का नाम लिखा उसी समय 
अपनी तलवार पर 
धार लगाई बारिक अपनी 
छुरी और कटार पर 
मौका मिला तो 
लुटी बौगी चलती हुई रेल से 
बाँटा पैसा गरीबों को "रॉबिन हुड"बन 
बड़े खेल से 
देख ये कमाल साइमन जलता रहा 
जेल जाने का 
तोड कर भाग जाने का 
बीहड़ में खाने का 
दुबारा रेल लुट कर आने का 
ये ही सिलसिला चलता रहा 
गुजरता गली से तो" मामा "कह
हर कोई संग था 
आजादी का बिगुल बजाया मैंने भी 
महज़ लडने का ढंग भर अलग था 
हाँ "टांटया" नाम से 
लोगों ने पुकारा 
गोली दागी हर छाती पर 
जिन्होंने हमें बनाया बेचारा 
मैं भील हूँ डाकू था 
आजादी की कवायद में 
हाथ में मरते दम तक चाकू था 

परवीन माटी 

एक छोटा सा समर्पण वीर बहादुर को जो कम ही लोगों तक की पहुँच में है

©parveen mati स्वरचित और मौलिक 

भील हूँ मैं 
जंगलों में रहकर 
अंग्रेज़ों की चुन-चुन कर ईंट से ईंट बजाई थी 
काँप गया था महारानी का मंत्री भी 
जब मैंने बंदूक उठाई थी 
सन् सत्तावन का दमन देख न सका
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parveen mati

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