मेरा ईश्क भी कुछ अलग था, पहली नफरत और आखरी मोहब्बत था।। ईश्क के परिंदो मे भी ऐसा क्या जुनून था , चल रही हवा ओ मे भी एक गुरुर था।। पैरो के निचे मखमल की चादर थी, दिल पे उसकी दस्तक तो थी, इसलिए तो दिल के इतने करीब थी पहली नफरत और आखरी मोहब्बत