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समाज और इनकी सोच खोखले, दकियानूसी और दोगले विचारों

समाज और इनकी सोच खोखले, दकियानूसी और दोगले विचारों से भरी पड़ी है।
हर कदम पर अंधविश्वास, मान-सम्मान और संकीर्ण मानसिकता मुंह बाए खड़ी है।

आधुनिकता का जामा पहनने का दिखावा करते, पर अपनी सोच बदलने से डरते हैं।
महिलाओं के सशक्तिकरण के नारे लगाते और उन्हें ही हमेशा दोयम दर्जे पर रखते हैं।

बेटा- बेटी को बराबर बताते हैं, पर भ्रूण परीक्षण कराकर बेटी का अस्तित्व मिटाते हैं।
मान- मर्यादा और संस्कारों के नाम पर आज भी, लोग ऑनर किलिंग करवाते रहते हैं।

रूढ़िवादी सोच को मिटाने की बातें करके, कुरीतियों और कुप्रथाओं को निभाते रहते हैं।
महिलाओं और बच्चों को बढ़ाने की बातें करते, नए-नए नियम और कानून बनाते रहते हैं।
 👉 ये हमारे द्वारा आयोजित प्रतियोगिता संख्या - 23. है, आप सब को दिए गए शीर्षक के साथ Collab करना है..!

👉 आप अपनी रचनाओं को आठ पंक्तियों (8)  में लिखें..!

👉Collab करने के बाद Comment box में Done जरूर लिखें,और Comment box में अनुचित शब्दों का प्रयोग न करें..!

👉 प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम समय सीमा कल सुबह 11 बजे तक की है..!
समाज और इनकी सोच खोखले, दकियानूसी और दोगले विचारों से भरी पड़ी है।
हर कदम पर अंधविश्वास, मान-सम्मान और संकीर्ण मानसिकता मुंह बाए खड़ी है।

आधुनिकता का जामा पहनने का दिखावा करते, पर अपनी सोच बदलने से डरते हैं।
महिलाओं के सशक्तिकरण के नारे लगाते और उन्हें ही हमेशा दोयम दर्जे पर रखते हैं।

बेटा- बेटी को बराबर बताते हैं, पर भ्रूण परीक्षण कराकर बेटी का अस्तित्व मिटाते हैं।
मान- मर्यादा और संस्कारों के नाम पर आज भी, लोग ऑनर किलिंग करवाते रहते हैं।

रूढ़िवादी सोच को मिटाने की बातें करके, कुरीतियों और कुप्रथाओं को निभाते रहते हैं।
महिलाओं और बच्चों को बढ़ाने की बातें करते, नए-नए नियम और कानून बनाते रहते हैं।
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👉 प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम समय सीमा कल सुबह 11 बजे तक की है..!