White मौत की सड़क पर एक ज़िंदगानी पड़ती है... कि,भूख लग जाए तो ठोकर खानी पड़ती है..। और कभी-कभी तो मैं इतना बोल उठता हूँ... अक्सर बीच मॆं ख़ामोशी सुनानी पड़ती है..। कोई ख़्वाब बिस्तर पर मर ना जाए इसलिए... रात-रात भर हमको नींद जलानी पड़ती है..। उम्र के आख़िरी मक़ाम पर किसी नॆ बताया... बचपन के ठीक बाद एक जवानी पड़ती है..। रोज तू अपने बच्चों को वो किस्सा सुनाना... जिसके पहलू मॆं हमारी कहानी पड़ती है..। इस क़द्र मैं उसको देखता रहता हूँ ‘ख़ब्तुल’... आँख तलक अपने हाथ से हटानी पड़ती है..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 ठोकर