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कल शाम मैं चाँद को निहारते -निहारते अटारी पे सोया

कल शाम मैं चाँद को निहारते -निहारते अटारी पे सोया था ।
वो हसी मंज़र, चेहकते सितारे और तुम्हारी मीठी यादों में खोया था।
न जाने क्यों याद किये, वो बीते लम्हें साथ मे जो।
घटाएं गिरने लगी थीं ,तेरी काली नागिन सी जुल्फें ज्यों
मन मे सिरहन सी उठने लगी भर लूं आगोस में तुम जो कहो।
आंखों से आँसू बहने लगे जब याद तुम्हारी साज़िस आगई, मेरे अकेले पन में मेरा साथ देने और फिर बारिश आ गई।-2

©A Malhotra
  #मेरीलेखिनी#यादें#बारिश#मोहब्बत
कल शाम मैं चाँद को निहारते -निहारते अटारी पे सोया था ।
वो हसी मंज़र, चेहकते सितारे और तुम्हारी मीठी यादों में खोया था।
न जाने क्यों याद किये, वो बीते लम्हें साथ मे जो।
घटाएं गिरने लगी थीं ,तेरी काली नागिन सी जुल्फें ज्यों
मन मे सिरहन सी उठने लगी भर लूं आगोस में तुम जो कहो।
आंखों से आँसू बहने लगे जब याद तुम्हारी साज़िस आगई, मेरे अकेले पन में मेरा साथ देने और फिर बारिश आ गई।-2

©A Malhotra
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amalhotra4165

A Malhotra

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