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गीतिका छंद  14/12 यति - लघु /गुरु  हे! जलद सुनकर

गीतिका छंद 
14/12
यति - लघु /गुरु 

हे! जलद सुनकर विनय अब, बूंद तो बरसाइये। 
है विकल होती यह धरा, यूँ नहीं तरसाइये।।
मचे चहुंँओर त्राहिमाम, त्राण आप दिलाइये। 
आपका शुभ आगमन हो, प्राण कोटि बचाइये।।

©Dr Usha Kiran
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