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लोक परलोक का आश्रय यह निकल जाता है कि जीवन में जो

लोक परलोक का आश्रय यह निकल जाता है कि जीवन में जो भी कुछ दिख रहा है वह लोक है जैसे घर परिवार समाज जिसके बीज हम नित्य उठाते बैठते कार्य संवाद आदि करते हैं पर लोग का आशय मृत्यु के बाद का कोई ऐसा संसार जहां इस धारा से भिन्न जीवन है इस पर लोग का वर्गीकरण स्वर्ग और नरक के रूप में भी किया जाता है बहुत इसी दृष्टि से पूजा-पाठ अंदर दान दक्षिणा करते हैं ताकि उनका पर लोग भी अच्छा रहेगा क्यू के बाद जब है उस दृश्य दुनिया में जाए तो उनका स्वागत देवी मंडल करें और उत्तम स्थान मिले पंच भौतिक तत्व शेती जल पावक गगन समीरा पंच रचित यह अधम शरीर से मानव जन्म से लेकर मृत्यु तक अपना अस्तित्व बनाए रखता है इसी में हमारी आत्मा जो पार सकती है जैसे देखा नहीं सिर्फ महसूस किया जाता है वहीं पर लोग का देवता है यह पार शक्ति शरीर में एक ऊर्जा है इसे शरीर का आभामंडल भी कहते हैं यह मन से भी गहरा शरीर का वह हंस है जिसके निकल जाने पर शरीर सब में तब्दील हो जाता है जब भी कोई व्यक्ति अनेक कार्य करता है तब उससे प्रस्तुत होकर आत्मा को सुकून मिलता है इसके विपरीत गलत कार्य करने पर मन डरता है और आत्मा मरती है इससे जो व्यक्ति एकांत में बैठता है तो उस पर पराशक्ति या परलोक में उथल-पुथल होने लगता है जीवन की सर्वाधिक कष्टदायक पति का नाम आत्म लिंग मन है जब खुद को आत्मा निकालने लगे तो समझना चाहिए कि पर लोग बिगड़ गया गलत कर्म का एक असर घर परिवार पर भी पड़ता है कि घर के अन्य सदस्य छल पर्सनल से अर्जित बस तू धन का प्रयोग करते हैं तो उनके भीतर भी नकारा न तक का बीज रोपण होता है जीवन में सदाचार का रास्ता अपनाकर ही पद प्रतिष्ठा पैसा कमाना चाहिए ताकि आत्मा रूपी उस पाराशक्ति में इतनी तेजस्विता रहेगी इंसान जैसा सोचे उसके अनुकूल कार्य हो

©Ek villain # जैसी करनी वैसी भरनी

#Hope
लोक परलोक का आश्रय यह निकल जाता है कि जीवन में जो भी कुछ दिख रहा है वह लोक है जैसे घर परिवार समाज जिसके बीज हम नित्य उठाते बैठते कार्य संवाद आदि करते हैं पर लोग का आशय मृत्यु के बाद का कोई ऐसा संसार जहां इस धारा से भिन्न जीवन है इस पर लोग का वर्गीकरण स्वर्ग और नरक के रूप में भी किया जाता है बहुत इसी दृष्टि से पूजा-पाठ अंदर दान दक्षिणा करते हैं ताकि उनका पर लोग भी अच्छा रहेगा क्यू के बाद जब है उस दृश्य दुनिया में जाए तो उनका स्वागत देवी मंडल करें और उत्तम स्थान मिले पंच भौतिक तत्व शेती जल पावक गगन समीरा पंच रचित यह अधम शरीर से मानव जन्म से लेकर मृत्यु तक अपना अस्तित्व बनाए रखता है इसी में हमारी आत्मा जो पार सकती है जैसे देखा नहीं सिर्फ महसूस किया जाता है वहीं पर लोग का देवता है यह पार शक्ति शरीर में एक ऊर्जा है इसे शरीर का आभामंडल भी कहते हैं यह मन से भी गहरा शरीर का वह हंस है जिसके निकल जाने पर शरीर सब में तब्दील हो जाता है जब भी कोई व्यक्ति अनेक कार्य करता है तब उससे प्रस्तुत होकर आत्मा को सुकून मिलता है इसके विपरीत गलत कार्य करने पर मन डरता है और आत्मा मरती है इससे जो व्यक्ति एकांत में बैठता है तो उस पर पराशक्ति या परलोक में उथल-पुथल होने लगता है जीवन की सर्वाधिक कष्टदायक पति का नाम आत्म लिंग मन है जब खुद को आत्मा निकालने लगे तो समझना चाहिए कि पर लोग बिगड़ गया गलत कर्म का एक असर घर परिवार पर भी पड़ता है कि घर के अन्य सदस्य छल पर्सनल से अर्जित बस तू धन का प्रयोग करते हैं तो उनके भीतर भी नकारा न तक का बीज रोपण होता है जीवन में सदाचार का रास्ता अपनाकर ही पद प्रतिष्ठा पैसा कमाना चाहिए ताकि आत्मा रूपी उस पाराशक्ति में इतनी तेजस्विता रहेगी इंसान जैसा सोचे उसके अनुकूल कार्य हो

©Ek villain # जैसी करनी वैसी भरनी

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