ख़्वाब सब बेमतलब के सजाएं थे। इक अजनबी से रिश्ता निभाएं थे। मिलकर उनसे दिल को अच्छा लगा। याद है वो दिन जब हम मुस्कुराएं थे। मेरा बस इक यही सवाल है उनसे। क्या सोच कर वो मिलने आए थे। सुनोंं आप ज़रा भी ज़हमत न लेना। हम ही थे जो इश्क़ में बौखलाए थे । हम उन्हें अपना सब कुछ समझे थे। ये भूल गया था कि जय तो पराए थे। मृत्युंजय विश्वकर्मा ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" #bestgazal #bestshayari #bestlines #Love #mjaivishwa #Joker