मेरी उम्मीद के आसार निकल जाते हैं, डूब जाएं भी तो उस पार निकल जाते हैं, मेरे ज़ख्मों पे तो मरहम भी नहीं खुलते हैं, छींकने से तेरी तलवार निकल जाते हैं !! ©Maqbul Alam मेरी उम्मीद के आसार निकल जाते हैं, डूब जाएं भी तो उस पार निकल जाते हैं, मेरे ज़ख्मों पे तो मरहम भी नहीं खुलते हैं, छींकने से तेरी तलवार निकल जाते हैं !! #Shayari #urduadab #gazal #poem #Shayar #nojotshayari