तकनीकों के बाज़ार में सहूलियतों पर ज़ोर है इस और का संवाद जा रहा उस और है नज़ाकत है वक्त की या जरूरत कहलें इंसान अब यंत्र को दे रहा वक्त भरपूर है अब भी इंसान इंसान से प्रत्यक्ष मिला करते है लेकिन सुक्ष्म तरंगीय भ्रमण बन रहा एक दौर है कौनसे दिन थे जब ये यंत्र जीवनशैली में नही था शामिल अक्सर उस बात पर कर रहे गौर है ख़ामोश है ज़माना सारा चारो और मोबाइल का शोर है ©Anupama Sharma हिंदी उर्दू शब्द के संग.. #addiction