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##नन्हीं सी अखियन को जब मैंने पहेली बार खोला था।

##नन्हीं सी अखियन को जब मैंने पहेली बार खोला था।

मैंने जब अपनी जुबां से पहेली बार *मां*बोला था।।

वो आचल था प्यार का वो ममता का साया था।

हा वो रिश्ता सबसे पहले समझ में आया था।।

जब मैंने खुद को अपनी *मां* की गोद में पाया था।

मुझे पाकर खुद के पास *मां* का चहेरा मुस्काया था।।

मैं जब भी रोई *मां* ने हाथ, सर पर सबसे पहले फिराया था।

उन्होंने मेरा साथ हर वक्त निभाया था।।

जिसकी थपकी से मुझे आराम समझ में आया था।

मुझे सुलाने के लिए उन्होनें लोरी को गाया था।।

मै जब भी भूंखी  थी अपना हिस्सा मुझे खिलाया था।

गलती होने पर डाट कर मुझे सीने से लगाया था।।

हो जाऊ गर बीमार कभी ,सारी रात सिरहाने बैठ कर बिताती है।

कभी डाट में,कभी प्यार में, वो हम पर अपनी खुशियां लुटाती है।।

क्या लिखूं इनके बारे में , शब्दो की वर्णमाला भी कम पड़ जाती है।

हो गर परेशान तुम तुम्हारे चहेरे से तुम्हारा हाल बताती है।।

वक्त आने पर ये कभी वैध,कभी भगवान बन जाती है।

मेरी दुनिया मेरी *मां* है, *मां* में ही दुनिया समाती है।।



_तनु सक्सेना✨😌 #MothersDay2021
##नन्हीं सी अखियन को जब मैंने पहेली बार खोला था।

मैंने जब अपनी जुबां से पहेली बार *मां*बोला था।।

वो आचल था प्यार का वो ममता का साया था।

हा वो रिश्ता सबसे पहले समझ में आया था।।

जब मैंने खुद को अपनी *मां* की गोद में पाया था।

मुझे पाकर खुद के पास *मां* का चहेरा मुस्काया था।।

मैं जब भी रोई *मां* ने हाथ, सर पर सबसे पहले फिराया था।

उन्होंने मेरा साथ हर वक्त निभाया था।।

जिसकी थपकी से मुझे आराम समझ में आया था।

मुझे सुलाने के लिए उन्होनें लोरी को गाया था।।

मै जब भी भूंखी  थी अपना हिस्सा मुझे खिलाया था।

गलती होने पर डाट कर मुझे सीने से लगाया था।।

हो जाऊ गर बीमार कभी ,सारी रात सिरहाने बैठ कर बिताती है।

कभी डाट में,कभी प्यार में, वो हम पर अपनी खुशियां लुटाती है।।

क्या लिखूं इनके बारे में , शब्दो की वर्णमाला भी कम पड़ जाती है।

हो गर परेशान तुम तुम्हारे चहेरे से तुम्हारा हाल बताती है।।

वक्त आने पर ये कभी वैध,कभी भगवान बन जाती है।

मेरी दुनिया मेरी *मां* है, *मां* में ही दुनिया समाती है।।



_तनु सक्सेना✨😌 #MothersDay2021
tanusaxena6644

Tanu Saxena

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