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भूखे होते थे जब रोटी कहती थी माँ चाँद को मेरा माम

भूखे होते थे जब रोटी कहती थी माँ 
चाँद को मेरा मामा बताती थी माँ 
सोये बच्चे हैं हल्ला न कर चाँद का 
आप ही को मुबारक सफ़र चाँद का 

ये सुना है वहाँ रोटी पानी नहीं 
ताज जैसी भी कोई निशानी नहीं 
उस जगह जाके बोलो करूँगा भी क्या 
जिस जगह कोई कविता कहानी नहीं 
इस तरह भी कोई दम न भर चाँद का 
आप ही को मुबारक सफ़र चाँद का 

ना तो लैला वहाँ कोई मजनू नहीं 
जो उजाला सा कर दे वो जुगनू नहीं 
हम जमीं पर बसायेंगे घर चाँद का 
आप ही को मुबारक सफ़र चाँद का 

@धर्मेन्द्र तिजोरीवाले "आज़ाद" #चन्द्रयान
भूखे होते थे जब रोटी कहती थी माँ 
चाँद को मेरा मामा बताती थी माँ 
सोये बच्चे हैं हल्ला न कर चाँद का 
आप ही को मुबारक सफ़र चाँद का 

ये सुना है वहाँ रोटी पानी नहीं 
ताज जैसी भी कोई निशानी नहीं 
उस जगह जाके बोलो करूँगा भी क्या 
जिस जगह कोई कविता कहानी नहीं 
इस तरह भी कोई दम न भर चाँद का 
आप ही को मुबारक सफ़र चाँद का 

ना तो लैला वहाँ कोई मजनू नहीं 
जो उजाला सा कर दे वो जुगनू नहीं 
हम जमीं पर बसायेंगे घर चाँद का 
आप ही को मुबारक सफ़र चाँद का 

@धर्मेन्द्र तिजोरीवाले "आज़ाद" #चन्द्रयान