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आशिकी से दिल रखने वाले किसी की फिकर कहाँ करते हैं,

आशिकी से दिल रखने वाले किसी की फिकर कहाँ करते हैं, जिसके दिल में बसता हो वतन वह मरने से कहाँ डरते हैं, जो अपनों को पीछे छोड़ सरहद पर जान छिड़कते हैं, पूरे जहान में हम शान से फौजी- ए- वतन कहलाते हैं, तपती धूप हो या हो बर्फीली पहाड़ी हर जगह बेखौफ तैनात हम रहते हैं, करते हैं सामना बेखौफ दुश्मनों का क्योंकि हर दम अपने हमारा हाथ थामे रहते हैं, लगता है कभी डर तो कभी हँसी याद बहुत आती है उनकी फिर भी करके आँखें नम सिर्फ दिल में बसी भारत माँ को हम याद करते हैं, उतारने इस माँ का कर्ज जन्मदात्री से अपनी दूर हम आ गए, इस जन्म उतारकर इसका कर्ज अगले जन्म के लिए हम उसके ऋणी हो गए, तुम क्या जानो दिल हमारा किस कश्मकश में हर पल धड़कता है, जीते हैं अपने वतन के लिए हम, पर दिल हमारा अपनों से मिलने को तरसता है, नहीं पता अगले पल क्या हमारी जिंदगानी होगी, मिल भी पायेंगे कभी अपनों से या अखबार में छपी शहीदों की कहानी में एक कहानी हमारी भी होगी, फिर भी बेपरवाह सरहद पर सीना तान हम खड़े रहते हैं, महफूज रहे देश हमारा, इसके लिए जीवन अपना कुर्बान करते हैं।।

©Amit Kumar फौजी
आशिकी से दिल रखने वाले किसी की फिकर कहाँ करते हैं, जिसके दिल में बसता हो वतन वह मरने से कहाँ डरते हैं, जो अपनों को पीछे छोड़ सरहद पर जान छिड़कते हैं, पूरे जहान में हम शान से फौजी- ए- वतन कहलाते हैं, तपती धूप हो या हो बर्फीली पहाड़ी हर जगह बेखौफ तैनात हम रहते हैं, करते हैं सामना बेखौफ दुश्मनों का क्योंकि हर दम अपने हमारा हाथ थामे रहते हैं, लगता है कभी डर तो कभी हँसी याद बहुत आती है उनकी फिर भी करके आँखें नम सिर्फ दिल में बसी भारत माँ को हम याद करते हैं, उतारने इस माँ का कर्ज जन्मदात्री से अपनी दूर हम आ गए, इस जन्म उतारकर इसका कर्ज अगले जन्म के लिए हम उसके ऋणी हो गए, तुम क्या जानो दिल हमारा किस कश्मकश में हर पल धड़कता है, जीते हैं अपने वतन के लिए हम, पर दिल हमारा अपनों से मिलने को तरसता है, नहीं पता अगले पल क्या हमारी जिंदगानी होगी, मिल भी पायेंगे कभी अपनों से या अखबार में छपी शहीदों की कहानी में एक कहानी हमारी भी होगी, फिर भी बेपरवाह सरहद पर सीना तान हम खड़े रहते हैं, महफूज रहे देश हमारा, इसके लिए जीवन अपना कुर्बान करते हैं।।

©Amit Kumar फौजी
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Amit Kumar

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