चुना था गुलाब हमने,अब कांटा चुभ रहा है रौशन करके राहें, कोई दिया बुझ रहा है होकर दूर हमसे,वो वफ़ा कर रहा है मोहब्बत करने की गलती, दिल हर दफ़ा कर रहा है औरों से क्या कहें हम,ख़ुद में ही उलझ रहे हैं हदों से गुज़र के, फिर से सुलझ रहे हैं छिपा कर हर गुनाह,रातें बेगुनाह हो गई हैं दिखा कर असली चेहरे, सच को सज़ा हो गई है... ©abhishek trehan 🎀 Challenge-252 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 10 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।