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मनुष्य में विश्व के प्रति दृढ़ इच्छा होती है इंद्र

मनुष्य में विश्व के प्रति दृढ़ इच्छा होती है इंद्रिय विषयों के प्रति इस प्रकार लिप्त हो जाना कि व्यक्ति का कर्तव्य है भूल जाए आज सख्त होना है जीवन में विविध पदार्थ और व्यक्तियों के प्रति मनुष्य की आ सकती उसके बंधन का कारण बनती है यह भाव अंतर मन और बंधन होता है व्यक्ति जिस वस्तु व्यक्ति पर आ सकता है उस पर वस्तु या व्यक्ति की छूट जाने पर आ सकती दुख का कारण बनती है आ सकती व्यक्ति दलदल में फंसे उस हाथी के समान होता है जो ताकतवर होते हुए भी दलदल से मुक्त नहीं हो पाता

©Ek villain #mainaurtum मनुष्य में विषयों के प्रति दृढ इच्छा होती है
मनुष्य में विश्व के प्रति दृढ़ इच्छा होती है इंद्रिय विषयों के प्रति इस प्रकार लिप्त हो जाना कि व्यक्ति का कर्तव्य है भूल जाए आज सख्त होना है जीवन में विविध पदार्थ और व्यक्तियों के प्रति मनुष्य की आ सकती उसके बंधन का कारण बनती है यह भाव अंतर मन और बंधन होता है व्यक्ति जिस वस्तु व्यक्ति पर आ सकता है उस पर वस्तु या व्यक्ति की छूट जाने पर आ सकती दुख का कारण बनती है आ सकती व्यक्ति दलदल में फंसे उस हाथी के समान होता है जो ताकतवर होते हुए भी दलदल से मुक्त नहीं हो पाता

©Ek villain #mainaurtum मनुष्य में विषयों के प्रति दृढ इच्छा होती है
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