मनुष्य में विश्व के प्रति दृढ़ इच्छा होती है इंद्रिय विषयों के प्रति इस प्रकार लिप्त हो जाना कि व्यक्ति का कर्तव्य है भूल जाए आज सख्त होना है जीवन में विविध पदार्थ और व्यक्तियों के प्रति मनुष्य की आ सकती उसके बंधन का कारण बनती है यह भाव अंतर मन और बंधन होता है व्यक्ति जिस वस्तु व्यक्ति पर आ सकता है उस पर वस्तु या व्यक्ति की छूट जाने पर आ सकती दुख का कारण बनती है आ सकती व्यक्ति दलदल में फंसे उस हाथी के समान होता है जो ताकतवर होते हुए भी दलदल से मुक्त नहीं हो पाता ©Ek villain #mainaurtum मनुष्य में विषयों के प्रति दृढ इच्छा होती है