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आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा हमने अपने आप क

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा हमने अपने आप को खुद से अलग होते देखा और अपनों को अपनों से बिछड़ते देखा
                               बाबा शायरी ✍️ बाबा शायरी ✍️
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा हमने अपने आप को खुद से अलग होते देखा और अपनों को अपनों से बिछड़ते देखा
                               बाबा शायरी ✍️ बाबा शायरी ✍️
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