लो फ़िर आ गया जून का महीना लो फ़िर आ गया जून का महीना, बहने लगा यकायक कितना पसीना दिल रहने लगा है कितना बेचैन, इसने मुश्किल कर दिया है सबका जीना (अनुशीर्षक में पढ़ें) कविता लो फ़िर आ गया जून का महीना लो फ़िर आ गया जून का महीना, बहने लगा यकायक कितना पसीना दिल रहने लगा है कितना बेचैन, इसने मुश्किल कर दिया है सबका जीना