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मेरे वजूद पर तुम सवाल करते हो, मेरी हया को क्यों

मेरे वजूद पर तुम सवाल करते हो, 
मेरी हया को क्यों शर्मसार करते हो, 
अल्फाजों में संजीदगी मेरा गुनाह तो नहीं, 
मेरे नकाब को क्यों बेनकाब करते हो, 
माना कि अक्सर मेरी ख्वाहिशे कहीं पर्दे  में छुप जाती हैं, पर उस मचलती शमां मेरा दीदार करते हो, 
चलो रुसवा किया सब बस यह बताओ, 
मेरी पहचान पर क्यों सवाल करते हो|
इस जमाने की दाव  पर तुम परख रहे हो मुझको, 
जनाब! हम तो वो काफिर है जो मोहब्बत तुमसे बेहिसाब करते हैं, 
पर्दा  बर्दाश्त नहीं होता तो हकीकत से क्यों इंकार करते हो, 
बस यह बताओ मेरी पहचान पर क्यों सवाल  करते हो|

©Madhu नकाब.... 






#beinghuman
मेरे वजूद पर तुम सवाल करते हो, 
मेरी हया को क्यों शर्मसार करते हो, 
अल्फाजों में संजीदगी मेरा गुनाह तो नहीं, 
मेरे नकाब को क्यों बेनकाब करते हो, 
माना कि अक्सर मेरी ख्वाहिशे कहीं पर्दे  में छुप जाती हैं, पर उस मचलती शमां मेरा दीदार करते हो, 
चलो रुसवा किया सब बस यह बताओ, 
मेरी पहचान पर क्यों सवाल करते हो|
इस जमाने की दाव  पर तुम परख रहे हो मुझको, 
जनाब! हम तो वो काफिर है जो मोहब्बत तुमसे बेहिसाब करते हैं, 
पर्दा  बर्दाश्त नहीं होता तो हकीकत से क्यों इंकार करते हो, 
बस यह बताओ मेरी पहचान पर क्यों सवाल  करते हो|

©Madhu नकाब.... 






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Madhu

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