करता रहा कोशिश मैं भी, क्षितिज को छूने की, मेरे हाथ छोटे पड़ जाते थे। दौड़ पड़ा था पकड़ने, हवाओं के झोंको को पर कदम छोटे पड़ जाते थे। देखता ही रहा हसरतों को, फिसलते मेरी मुट्ठी से, पर सपने कम पड़ जाते थे। बहुत रोका खुद को दूर जाने से, आवाज भी दी थी मैंने, पर शब्द कम पड़ जाते थे। जानें कहां रख छोड़ीं थी चाहते, किसी रेत में दबा कर, पर घरौंदे छोटे पड़ जाते थे। यूं तो शिकायत नहीं थी मुझे, मुस्कुराने की कोशिश में, पर बहानें कम पड़ जाते थे। जानें कैसे गुज़रती रही जिन्दगी, बिन हसरतों के, पर दायरे कम पड़ जाते थे। रोशन "आवारा"💔 #sunlight #अंदाज #अंजान #अंजाम_ए_इश्क़ #अंदाज़ा #अनमोल_रिश्ता #आना_जाना_लगा_रहेगा