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कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं क्या सितम

कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे 

 मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं

जॉन एलिया साहब 

  जॉन एलिया साहब की शायरी
कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे 

 मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं

जॉन एलिया साहब 

  जॉन एलिया साहब की शायरी