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प्रकृति कि कृपा दृस्टि से जिसका अस्तित्वा संभव है,

प्रकृति कि कृपा दृस्टि से जिसका अस्तित्वा संभव है, भटका हुआ वह इंसान अब उसी पर अपना वर्चस्व स्थापित करने का प्रयत्न कर रहा है। तो इसी विचार को ध्यान में रखते हुए मैंने कविता लिखी, जो कुछ इस प्रकार है:

Happy listening! 🌻

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प्रकृति कि कृपा दृस्टि से जिसका अस्तित्वा संभव है, भटका हुआ वह इंसान अब उसी पर अपना वर्चस्व स्थापित करने का प्रयत्न कर रहा है। तो इसी विचार को ध्यान में रखते हुए मैंने कविता लिखी, जो कुछ इस प्रकार है: Happy listening! 🌻 #Hindi #shreyashsblog poetry #poem #Human #Insaan #kavi #kavita #reelitfeelit #message life #randomthoughts #HindiPoem #Quote

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