हारे नहीं हम हर आए गए हैं , कभी रोते ना थे रुलाए गए हैं । जिन्हें अपना हम समझ बैठे थे , वो हाथ गैरों का थामें है। क्या हाल कहें इस दिल का, खुद से ही बेगाने हैं । अल्फाज़ मेरे ✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #Rose