म प्रियम हूँ मैं.. मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का खुद से बंधा नियम हूँ मैं। लफ़्ज़ समंदर,लहराता शब्दों से सधा,स्वयं हूँ मैं। संस्कृति,संस्कारों का खुद से गढ़ा,नियम हूँ मैं। साहित्य सृजन,सरिता प्रेम-पथिक,"प्रियम" हूँ मैं। कमल का फूल खिलता पाठक पंकज भूषण हूँ मैं। औरों में,खुशी बिखेरता कवि-लेखक"प्रियम" हूँ मैं। सरस्वती की पूजा करता मां सर्वेश्वरी पुत्र प्रियम हूँ मैं कागज-कलम में ही जीता श्यामल पुत्र "प्रियम" हूँ मैं। अन्वेषा-आस्था कृति रचता किशोरी पति प्रियम हूँ मैं। मित्र प्रेम समर्पित करता प्रियतम सखा प्रियम हूँ मैं। ✍पंकज प्रियम प्रियम