मैंने ओढ़ ली चुनरी सतरंगी तू बोल है कितनी दूर करदे पूरा श्रृंगार मेरा कबसे मैं खड़ी लिए सिंदूर ! मत परवाह करना काँटों की, रुकना मत गर रोके रस्ता नदिया पर्वत आड़े जब आये टकराना, पार कर आना अंगारों का दरिया ! नमस्कारं टीम #येरंगचाहतोंके सदस्य- कोमल शर्मा जी,श्वेता मिश्रा जी, डॉ सीमा शकुनि जी,सुधा जोशी जी और मैजिक वॉइस जी । आज #होलीकेहमजोली प्रतियोगिता कार्यक्रम के अनुसार हमारा आज का विषय-- #श्याम_रंग_में_जो_मीरा_ने_चूनर_रंगी : जिसे सभी पूरे मन से सृजित कर #collabwithकोराकाग़ज़ #yqdidi के साथ पूर्ण करेंगे । :