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कुछ ज़ख़्म अपने अंदर में भी दबाए हुए हूं कुछ ग़म आ

कुछ ज़ख़्म अपने अंदर में भी दबाए हुए हूं
कुछ ग़म आज भी अपने दिल से लगाए हुए हूं कुछ ज़ख़्म अपने अंदर में भी दबाए हुए हूं
कुछ ग़म आज भी अपने दिल से लगाए हुए हूं

ज़िन्दगी के किसी मोड़ पे अपनों से धोका मुझे भी मिला है
यहां तुम्हारा दोस्त पीछे खंजर लिए खड़ा है बस इसी बात का तो गीला है 

ज़िन्दगी नोमाएशी का एक मेला है
अजी हां कभी हमें भी दर्द ए मोहब्बत झेला है
कुछ ज़ख़्म अपने अंदर में भी दबाए हुए हूं
कुछ ग़म आज भी अपने दिल से लगाए हुए हूं कुछ ज़ख़्म अपने अंदर में भी दबाए हुए हूं
कुछ ग़म आज भी अपने दिल से लगाए हुए हूं

ज़िन्दगी के किसी मोड़ पे अपनों से धोका मुझे भी मिला है
यहां तुम्हारा दोस्त पीछे खंजर लिए खड़ा है बस इसी बात का तो गीला है 

ज़िन्दगी नोमाएशी का एक मेला है
अजी हां कभी हमें भी दर्द ए मोहब्बत झेला है