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लोकोक्तियाँ  - ताजा सृजन पराये धन की ठाठ, काठ की

लोकोक्तियाँ  - ताजा सृजन

पराये धन की ठाठ,
काठ की *असबाब,
कनक की पात,
निस्संदेह, एकदिन
ख़ाक होती है!
       धूर्त की बात,
       झूठ की चाक,
       कपटी की *साध,
       निस्संदेह, एकदिन
       राख होती है!
आडम्बर की आग,
चापलूस की राग,
धनवान की धाक,
निस्संदेह, एकदिन
 राख होती है!
       लालच की जात,
       निंदा की जाप,
       घमंड की छाप,
       निस्संदेह, एकदिन,
       ख़ाक होती है!

कवि आनंद दाधीच, भारत

असबाब-सामग्री, साध- मन्नत,

©Anand Dadhich #खाक #राख #लोकोक्तियाँ #kaviananddadhich #poetananddadhich #HindiPoem #proverbs
लोकोक्तियाँ  - ताजा सृजन

पराये धन की ठाठ,
काठ की *असबाब,
कनक की पात,
निस्संदेह, एकदिन
ख़ाक होती है!
       धूर्त की बात,
       झूठ की चाक,
       कपटी की *साध,
       निस्संदेह, एकदिन
       राख होती है!
आडम्बर की आग,
चापलूस की राग,
धनवान की धाक,
निस्संदेह, एकदिन
 राख होती है!
       लालच की जात,
       निंदा की जाप,
       घमंड की छाप,
       निस्संदेह, एकदिन,
       ख़ाक होती है!

कवि आनंद दाधीच, भारत

असबाब-सामग्री, साध- मन्नत,

©Anand Dadhich #खाक #राख #लोकोक्तियाँ #kaviananddadhich #poetananddadhich #HindiPoem #proverbs