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डोर से टूटी पतंग जैसे, थी ये जिंदगानी मेरी आज हो क

डोर से टूटी पतंग जैसे, थी ये जिंदगानी मेरी
आज हो कल हो मेरा ना हो, हर दिन थी कहानी मेरी
-AMITABH BHATTACHARYA AMITABH BHATTACHARYA quotes
डोर से टूटी पतंग जैसे, थी ये जिंदगानी मेरी
आज हो कल हो मेरा ना हो, हर दिन थी कहानी मेरी
-AMITABH BHATTACHARYA AMITABH BHATTACHARYA quotes