हरे वृक्ष हों धरा मातृ पर चहुं ओर हरा आभूषण हो, सुमन-वात हो क़िलकित व नदियों का जल पावन हो, हृद प्रफुल्लित कृषक वर्ग के खुशियों के आचरण बनें, विपिन बचाकर विटप लगाकर सचमुच पर्यावरण बनें... #पर्यावरण #विश्वपर्यावरणदिवस #prashantpoet #yqgreen #worldenvironmentday #5thjune #yqdada