जिन्दगी कुछ इस कदर संवर रही है । साथ है कई सफर में सलाहकार पर यहां तो सिर्फ अनुशासित मनमर्जियाँ चल रही हैं। चाँद है पुरजोर अपनी कलाओं में, सूरज की रश्मियांँ अंँधेरी बीहड़ सतहों पर उजाले कर रही है। कुछ और बस कुछ और है रास्ते सफर के जो अभी भी अंधेरोंं में बसर कर रही है। 18 से 21 हुई है उम्र विवाह की, कुछ असमानताएं नर नारी की फिर कुछ कम हुई है। नई पीढ़ी को उन्नति के आयाम में नए वर्ष की शुभकामनाएं मिल गईं हैं। "अगर इसमेंं संसोधन हो कभी दोनोें की विवाह की उम्र 18-18 कर देने में क्या बुराई है अगर सिर्फ विवाह से ही देश की भलाई है। "जय हिन्द" ©vichar #नए वर्ष में 21-21 हिट है।