झूला आओ गोरी तुम्हें झूला झूलाते हैं बांहों में भर मधुर गीत गुनगुनाते हैं सावन में मस्त भ्रमर इत उत उड़े है कलियों को छेड़त रस ले उड़े है तन-मन मेरा भी बेबस हुए जाए तुमको सोचकर ही मदहोश हुए जाए प्रेम के फुहारों से तुम भी भीग जाओ आ भी जाओ अब और ना सताओ कृष्णार्थ ©KRISHNARTH #झूला