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लौटता सूरज,बाहें फैलाये शीतल शाम... कच्ची मिट्टी क

लौटता सूरज,बाहें फैलाये शीतल शाम...
कच्ची मिट्टी के वो इठलाते रस्ते,
उन रस्तों पे संग चलते हम-तुम.. 
हाथों को थामें हाथ हो,
और बारिश का हो मौसम..

बेमतलब की कोई बात नहीं,
 ख़ामोशियाँ कहें,ऐसी एक याद चाहिये, 
नजरों में खो जायें कुछ ऐसे,
कि नजारे हो जायें फीके, 
 तुम संग जी लूँ एक पल में सदियाँ ,
वो एहसास ,वो एक मुलाक़ात चाहिये..
हाँ ,तुम्हारा साथ चाहिये...।।

©Chanchal's poetry #nojotowriters 
#romanticqoutes 

#holdinghands
लौटता सूरज,बाहें फैलाये शीतल शाम...
कच्ची मिट्टी के वो इठलाते रस्ते,
उन रस्तों पे संग चलते हम-तुम.. 
हाथों को थामें हाथ हो,
और बारिश का हो मौसम..

बेमतलब की कोई बात नहीं,
 ख़ामोशियाँ कहें,ऐसी एक याद चाहिये, 
नजरों में खो जायें कुछ ऐसे,
कि नजारे हो जायें फीके, 
 तुम संग जी लूँ एक पल में सदियाँ ,
वो एहसास ,वो एक मुलाक़ात चाहिये..
हाँ ,तुम्हारा साथ चाहिये...।।

©Chanchal's poetry #nojotowriters 
#romanticqoutes 

#holdinghands