पुकारा तो हमेशा गया उसे लेकिन वैसे ही जैसे बेगार को बुलाया गया हो ‘दुखी’ के बजाय उसका बेटा उपस्थित था वो हर रचना में गुमनाम सा जैसे इंडिया गेट , विक्टोरिया पैलेस , गेटवे ऑफ़ इंडिया इत्यादि के शिलापट्ट पर मजदूर! जब भी सर्वनाम ने कुछ अपनी सुनानी चाही पाणिनि से पार्लियामेंट तक सबकी भृकुटी तन गयी इसलिए वैयाकरणों ने निष्कर्ष निकाला है- सर्वनाम पर बगावत के जुर्म में रा. सु. का. लगने वाला है #neelkikavita