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जब तेरे हुस्न का जानेमन,हौसला अफ़जाई होता है । मे



जब तेरे हुस्न का जानेमन,हौसला अफ़जाई होता है ।
मेरी कलम से निकला, एक-एक शेर करिश्माई होता है।
लोग डूब जाते हैं इस कदर,मेरे शब्दों के गहरे समंदर में,
हरेक पंक्ति प्रेम से सराबोर,पूरा अनुप्रास शैदाई होता है।
अंगूर की बेटी महुआ की नतनी है तू, हैं तेरे रूप अनेक,
तेरी तासीर एक है तू मदहोशी का पूरा लिए गहराई होता है।
जिसने लिया तुझे मात्र एक बार मयखाने में जो 'अनिल',
मधुशाला ही होता सबकुछ,नहीं जहाँ बेवफ़ाई होता है।

©ANIL KUMAR
  #मधुशाला