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और कई दिन ये उदासी मैं ढो नहीं सकती किसी की भी बाह

और कई दिन ये उदासी मैं ढो नहीं सकती
किसी की भी बाहों में तो रो नहीं सकती

फ़ैसला था जो मेरा वो तो मेरा था ना
अपनी ही जैसी मैं क्यों हो नहीं सकती
 
बुझी है शमा और अंधेरा भी घना हैं
चराग़ों में भी लौ कोई पिरो नहीं सकती

कल चहचहाती हुई फिरती थीं जो लड़की
आज खुलकर वो हंस क्यों नहीं सकती

आया एक झोंका ओर छीन गया सब कुछ
खुशी क़ल्ब शरारत चैन से सो नहीं सकती

©Ana #tumaurmain #kashmakash #zidagi #Trending #Reet
और कई दिन ये उदासी मैं ढो नहीं सकती
किसी की भी बाहों में तो रो नहीं सकती

फ़ैसला था जो मेरा वो तो मेरा था ना
अपनी ही जैसी मैं क्यों हो नहीं सकती
 
बुझी है शमा और अंधेरा भी घना हैं
चराग़ों में भी लौ कोई पिरो नहीं सकती

कल चहचहाती हुई फिरती थीं जो लड़की
आज खुलकर वो हंस क्यों नहीं सकती

आया एक झोंका ओर छीन गया सब कुछ
खुशी क़ल्ब शरारत चैन से सो नहीं सकती

©Ana #tumaurmain #kashmakash #zidagi #Trending #Reet
anuradhawazalwar8839

Ana

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