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हम गुज़रे थे ज़िन्दगी के हर रास्तों से बन अजनबी मन्


हम गुज़रे थे ज़िन्दगी के हर रास्तों से बन अजनबी
मन्ज़िल पे नज़र थी कि ए दिल,फिर मुलाकात हो गई
मौसिकी मोहब्बत में,अब पुरानी बात हो गई
ना दिन गुज़रा,ना शाम ढला,बैरन रात हो गई

©paras Dlonelystar
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