तेरी याद के काजल से ख़ुश रहते थे, हम दो नैना दो पल से ख़ुश रहते थे। उससे हमें तोहफ़े की हाजत क्यूँ होती, उसकी टूटी-चप्पल से ख़ुश रहते थे। सिंपल से हम डिंपल पड़ता था हमको, डिंपल में हम पिंपल से ख़ुश रहते थे। ©Shubham Anand Manmeet तेरी याद के काजल से ख़ुश रहते थे, हम दो नैना दो पल से ख़ुश रहते थे। उससे हमें तोहफ़े की हाजत क्यूँ होती, उसकी टूटी-चप्पल से ख़ुश रहते थे। सिंपल से हम डिंपल पड़ता था हमको, डिंपल में हम पिंपल से ख़ुश रहते थे।