White आग पानी में वो लगाता है ख़ूँ पसीने से जो नहाता है जब अँधेरे से डर नहीं लगता तो चराग़ों को क्यूॅं जलाता है रौशनी की कमी नहीं है पर ये अँधेरा ही मुझको भाता है मैंने ग़म पे कहे हैं इतने शेर अब तो ग़म भी ग़ज़ल सुनाता है रोज़ तन्हाई मुस्कुराती है रोज़ दिल को कोई दुखाता है ©ABhishek Parashar #ghazal #sher #Shayari poetry in hindi