तुम हर छोटी बात पर बिखर जाती हो मल्लिका...... कभी बड़े शायरों से अदावत कर बैठती हो, कभी टूटते तारे को देखकर फफ़क़ कर रो पड़ती हो.... वैसे तो तुम दावा करते हो मुझे समझ लिया क्या ख्याल भी पढ़ लेते हो मेरी...... छेद थी कश्ती में फिर भी सफर से इंकार नहीं किया..... मेरे गंदे बच्चे, बड़े बच्चे का साथ बड़ा प्यारा था.... आँशु जानते हैं भेद ह्रदय का... मैं सच रहीं पुरी तरह... खामोशियों में मैं मौन सुना करती.... आपकी हर बातें मैं रोज पढ़ा करती हूँ.... समंदर क्या गिन नहीं पा रहा लहरों की अंगड़ाइया क्या मुझमे छिपी हैं इतनी गहराइयाँ मर्यादा में बंधे रहते हैं स्त्री के शब्द... क्युंकि समाज शब्दो पर गौर करता हैं... अच्छा सुनो, जरा तुम कम सोचा करो नोजोतो साहब माँ कह रही थी नोजोतो से कोई याद कर रहा होगा.... वही चिक चिक करती हो..... 😊😊 तुम पत्थर दिल होने की सबूत हो.... फिर नर्म क्यों पड़ जाती हो...... ©MALLIKA #Mallika