मेरे अंदर बस्ता है छोटा सा शहर । उसी शहर में तो कैद हैं मेरी हर खुशी हर गम. मेरी गुड़िया का हस्ता चेहरा , जब कभी हुई मेरी मां की आंख नम। वो यारों की यारी , वो चौपाल की महफ़िल सारी मेरा गुजरा हुआ हर पल आज भी जिन्दा है मुझमें मेरा बीता हुआ कल बस यही है छोटा सा शहर जो मुझमें बस्ता है जो कभी रोता ह है कभी हस्ता है sukhu... #mera_shehar#_________