मै जब बेताबी से उसका इंतेज़ार करता हूँ, तो हवाएं मुझसे कुछ कहती है...... "जितना बेताब तुम हो उससे मिलने के लिये, उससे कहीं ज्यादा बेताब होगी वो तुम से मिलने के लिए। कि तुम जरा ठहरो, अभी वो आरही होगी, अपने सरकते हुये दुपट्टे को समझा रही होगी। हर लम्हा गुज़र रहा है यहाँ मुश्किल से तुम्हारा, वहाँ वो आपने उलझे हुये जुल्फ़ें को सुलझा रही होगी। कि तुम जरा ठहरो, अभी वो आरही होगी......" #मै जब #बेताबी से उसका #इंतेज़ार करता हूँ, तो #हवाएं मुझसे कुछ #कहती_है...... "जितना बेताब तुम हो उससे मिलने के लिये, उससे कहीं #ज्यादा_बेताब_होगी #वो #तुम_से #मिलने_के_लिए। कि तुम जरा #ठहरो, अभी वो #आरही_होगी, अपने सरकते हुये #दुपट्टे को समझा रही होगी।