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सुनो, परेशान हो तुम शायद ? जिंदगी के रवैये से हैरा

सुनो, परेशान हो तुम शायद ?
जिंदगी के रवैये से हैरान हो तुम शायद,
ये उथल पुथल भरे रास्ते जीवन के,
चलना है तुम्हे अब नादान नहीं तुम शायद,
बचपन गुजर गया बड़ी जल्दी,
जिमेदारियों ने दायरे घटा दिए शायद,
तुम घबराना नहीं तनिक भी,
वक्त अभी थोड़ा नाराज है तुम से शायद,
अंधेरा क्या है ?
उजाले की खोज में भटकता कोई उम्मीद शायद,
तुम क्या हो, तुम कौन हो ?
कभी खुद से पूछा नहीं शायद,
पूछ लेते तो पता चल जाता,
एक परींजाद हो तुम शायद.......

©Ajay Chaurasiya #shayad
सुनो, परेशान हो तुम शायद ?
जिंदगी के रवैये से हैरान हो तुम शायद,
ये उथल पुथल भरे रास्ते जीवन के,
चलना है तुम्हे अब नादान नहीं तुम शायद,
बचपन गुजर गया बड़ी जल्दी,
जिमेदारियों ने दायरे घटा दिए शायद,
तुम घबराना नहीं तनिक भी,
वक्त अभी थोड़ा नाराज है तुम से शायद,
अंधेरा क्या है ?
उजाले की खोज में भटकता कोई उम्मीद शायद,
तुम क्या हो, तुम कौन हो ?
कभी खुद से पूछा नहीं शायद,
पूछ लेते तो पता चल जाता,
एक परींजाद हो तुम शायद.......

©Ajay Chaurasiya #shayad