आसमां छूने की ज़िद है ना जल्दबाजी है, मुझको तो बस चलते रहना अच्छा लगता है। वो सुकूं कहां है दौड़कर दरिया पार करने में, इसमें रहकर बहते रहना अच्छा लगता है। कपिल वीरसिंह ©Kapil Tomer #This #is #exactly #what #I #am #Thoughts