तेरी क्या तारीफ करूँ एे हुस्ने बहार जब भी देखता हूँ दीवाना हो जाता हूँ कोई मस्ती है अगर, तेरी आँखों की है नजरें मिलाता हूँ,मस्ताना हो जाता हूँ जब भी तेरे बारे में सोचता भर हूँ तो शायराना हो जाता हूँ मैं तुम्हारा आशिक़ हूँ