रुठना और ना बात करना इस दरमियां की याद हो तुम, बीते वक्त का सार हो बेवक्त मिला प्यार हो तुम, जाना है जिसके किनारे उस समंदर का सैलाब हो तुम, तीखी प्यारी नोंक-झोंक के हर बातों का हिस्सा हो तुम, जेहन मे छुपी है कई बातें वही अनकही किस्सा हो तुम, आंखों के आंसूओं का होंठों के ओस बनने तक इस दरमियां के बीच की छिपी मुस्कान हो तुम खुद को वक्त देना और तुम्हें वक्त बनाना इस दरमियां के हकीकत ख्वाब हो तुम। #paidstory#कुछबातें#justfirst part1tobecontinued...