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(आरजू) रुह को मारकर जिस्म की आरजू करते हैं लोग,

(आरजू)

रुह को मारकर जिस्म की आरजू करते हैं लोग,
 कुछ इस अंदाज से भी आशिक़ी करतें हैं लोग!!

आते जाते झूठे इश्क का इज़हार करते हैं लोग, कुछ इस अंदाज से भी आशिक़ी करतें हैं लोग!!

जाने अनजाने में ही सही, पर मोहब्बत कर जाते हैं लोग!!

कभी करार-ए-वफा निभाते हैं, तो कभी सितमगर बन जाते हैं लोग!!

ताउम्र साथ रहने का वादा तो किया करते हैं, तोड़ उन वादों को बेवफा भी कहलाते हैं लोग!!

प्यार ना पाकर भी,टूट के प्यार करते हैं लोग!!

अपनी प्यार की ख़ुशी के खातिर, ज़िन्दगी कुर्बान करते हैं लोग!!!

प्यार के इज़हार में,

खुद से ही मुक़र जाते हैं लोग!!

प्यार में अपनों से ही. बेवफाई कर जाते है लोग!!

अपना अपना कह कर,अक्सर ऐसा सितम ढाते हैं लोग!!

प्यार को पाने के लिए, ना जाने क्या क्या कर जाते हैं लोग
रूह को मारकर जिस्म की आरजू करते हैं लोग, 
कुछ इस अंदाज से भी आशिक़ी करतें हैं लोग!!

©Ek dil ka ehsaas....
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please support jarur karen...... Anshu writer R K Mishra " सूर्य " udass Afzal Khan Sethi Ji muskan